कल्लन कल्लू के
93वें जन्म दिवस
पर विनम्र श्रद्धांजलि
हो बागे इरम में तेरा आशियाना
तेरी अजमते भूलेगा न जमाना
शहद जैसे मीठे थे तेरे कलाम
ऐ जन्नत के राही तुझे अस्सलाम
दुआएं ये मेरी तेरी शान में
ठिकाना देर रब तुझको रय्यान में
जो सच्चाई पः था उठाया कदम
तेरी वो पहल कैसे भूलेंगे हम
मसायब में आंखें जो होती है नम
तेरी याद आते ही जाते हैं ग़म
No comments:
Post a Comment