*ग़ज़ल*
*हार कर बाज़ी तो सच्चे हैँ उदास*
*क्या हुआ आखिर कि झूठे हैँ उदास*
*आजकल के फैशनो को जानकर*
*लोग कहते हैँ कि अंधे हैँ उदास*
*शादयाने बज रहे थे क्या हुआ*
*क्या हुआ कि सारे चेहरे हैँ उदास*
*रोज़ जाते हैँ तवाएफ की गली*
*जाल में फँस कर परिंदे हैँ उदास*
*आप ने तो जीत ली दुनिया सभी*
*आप क्योंकर और कैसे हैँ उदास*
*आप के आने से रौनक थी बहुत*
*आप के जाने से चेहरे हैँ उदास*
*बज़्म से उठ कर मैं जब से आ गया*
*सुनता हूँ कुछ लोग तब से हैँ उदास*
*ज़ुल्म होता है ज़बा खामोश है*
*ऐसे आलम में तो गूंगे हैँ उदास*
*चाँद को देखा नहीं जब क्या कहूँ*
*साथ में रहबर के तारे हैँ उदास*
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*रहबर गयावी*
*पटना बिहार*
8507854206
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