ग़ज़ल*हार कर बाज़ी तो सच्चे हैँ उदास* by Rahbar Gyabi
Noorjahan Express
December 28, 2020
*ग़ज़ल* *हार कर बाज़ी तो सच्चे हैँ उदास* *क्या हुआ आखिर कि झूठे हैँ उदास* *आजकल के फैशनो को जानकर* *लोग कहते हैँ कि अंधे हैँ उदास* *शादयाने ब...
आबरू उछाली गई अदालत में बुला के अपने हैं दर किनार किया हमने भुला के आंखों में बसे रहते थे हम जिसके रात दिन नजरें ही उसने फेर लिया नजरें मिल...