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Tuesday, March 31, 2020

Gazal Bachpan in hindi by RAHBAR GAYAVI

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              ग़ज़ल 

मेरा बचपन कमाल में गुज़रा 
यानी हुस्न ओ जमाल में गुज़रा 
जब गरज थी तो रोज़ मिलते थे 
और फिर माह ओ साल में गुज़रा 

बाल बच्चे सभी हैँ ऐसी में 
बाप का दिन खटाल में गुज़रा 


जब हो खड्का लगा कि वो आये 
वक़्त बस इस ख्याल में गुज़रा 

माल ओ ज़र देके बाल बच्चों को 
वक़्त सारा मलाल में गुज़रा 

फिर ना दोहराना ऐ खुदा उसको 
हादसा जो भी हाल में गुज़रा 

रहनुमा थे दक्षिण में बैठे 
जलजला जब शुमाल में गुज़रा 
........................................
             2
         ग़ज़ल 

 मेरे ऐसे गुमान से निकला 
जैसे वो मेरी जान से निकला 

वापसी उसकी हो नहीं सकती 
शब्द जोभी ज़बान से निकला 

तोड़कर तारे भी ला सकता हूँ 
अंदाजा उड़ान से निकला 

मेरी माँ कि दुआएं काम आयीं 
मै अजब इम्तेहान से निकला 


कष्ट उनको कभी ना होने दी 
खुद ही महफिल के शान से निकला 

काम उनका सभी विभागों में 
मेरे नाम ओ निशान से निकला 

जिसमे मनसूबे थे मोहब्बत के 
पत्र वो भी मचान से निकला 

जिसको दुनिया ग़लत समझती थी 
सुर्ख रू वो जहान से निकला 

शब्द मेरे लगे हैँ सुर्खि में 
जो भी मेरे बयान से निकला 

दाखला इसका अब नहीं मुमकिन 
तीर ये भी कमान से निकला 

जिसकी रहबर को जुस्तजू  थी
वो अभी दरम्यान से निकला 
........................................
रहबर गयावी (RAHBAR GAYAVI )
बुक इम्पोरियम सब्ज़ी बाग़ 
पटना बिहार 800004
मोबाइल :-8507854206

1 comment:

م سرور پنڈولوی said...

بہت خوب رہبر گیا وی صاحب
م ، سرور پنڈولوی