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Monday, March 30, 2020

Love story/कहानी रेशमी डुपट्टा

मां ने कहा साधना तुम्हें कितनी बार समझाया है की कोर्स की किताबें छोड़कर फिजूल चीजों पर वक्त मत बर्बाद किया करो चलो अपनी किताबें उठाओ साधना ने उसे रखकर कोर्स की किताबें उठा ली कुछ देर बाद उसने खिड़कियों से देखा मां पड़ोस में चली गई . साधना ने अलमारी से फिर उसी मैगजीन को खींच लिया जिसे वह पढ़ रही थी और जहां से उसने छोड़ा था वहीं से पढने लगी घर चारों तरफ खुशी फैली खाला फूले नही समा रही थां एक कुछ औरते बैठी गा रही थी हाय अल्लाह ने यह दिन दिखाया बजी रे शहनाई घर में अकेले होने के नाते खाला को घर में दम भर की फुर्सत नहीं थी आज उनके दिल के सारे अरमान निकल चुके थे चांद सी बहू पाकर आज वह बहुत खुश नजर आ रही थी खुदा ने उन्हें दो औलाद से नवाजा था एक लड़की और एक लड़का लड़की का नाम नूरजहां था और लड़के का नाम जाबिर लड़के की शादी तो कल हो चुकी थी अब बची थी नूरजहां जिसकी शादी उसके खाला के लड़के रोशन के साथ लगी थी इन दोनों की शादी तो बचपन में ही तय कर दी गई थी रोशन इस समय यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था उसकी आदत शेर व गजल लिखने की थी जगह-जगह मुशायरे में जाता था 20 वर्ष की उम्र में ही उस के चर्चे जगह-जगह थे अब तो खाला रोशन को और भी पसंद करने लगी थी वह जल्दी जल्दी रोशन को अपने घर बुलाती रहती थी वैसे खाला रोशन से कुछ नहीं कहती मगर जब दोनों बहन इकट्ठा होती तो जरूर रोशन की मां से कहती आपा अब रोशन को मुझे दे दो नूरजहां भी बड़ी हो गई है अब हम रोशन को छोड़कर दूसरी जगह कहां जाएंगे. रोशन की मां भी कहती रोशन तुम्हारा ही है जब चाहो दोनों को एक डोरी में बांध दो. आज रोशन 1 साल के बाद खाला के घर घूमने गया था नूरजहां के बाबा जिनका नाम सत्तार था आंखें धसी हुई सर पर सन की तरह सफेद बाल उमर लगभग 85 साल के आसपास थी वह दरवाजे पर मिले बोले जाओ खाला अंदर ही हैं रोशन अंदर गया खाला ने पूरे घर वालों की खैरियत पूछा तिल के लड्डू खिलाए फिर बोली मैं बाजार जा रही हूं रोशन को अच्छी तरह खिला पिला देना यह बात शायद उन्होंने भाभी नूरजहां दोनों से, कहा . खालू को तो अपनी नौकरी से फुर्सत ही नहीं थी हमेशा वह अपने टीचिंग में ही मशगूल रहते थे भाभी रोशन को अपने कमरे में ले गई फिर उन्होंने आवाज दी नूरजहां ? वो आई बोली क्या भाभी ?
भाभी बोली अरे भाई तुम्हारे दिल के करीब आए हैं इनका कुछ खातिर भाव नहीं करोगी हंसते हुए बोली. नूरजहां की नजरें चुकी थी यह बात सुनकर वो और भी शरमा गई बोली जाओ इनके लिए खाना लेकर आओ नूरजहां जैसे ही खाना लेकर आई भाभी उठ कर जाने लगी रोशन बोला बैठो ना भाभी भाभी बोली तुम खाओ मैं अभी आती हूं नूरजहां ने झुकी नजरों से खाना लगाया बोली खाओ रोशन बोला पहले तुम बैठो ऐसा कहके नूरजहां का हाथ पकड़कर बेड पर बैठा दिया नूरजहां बोली क्या कर रहे हो भाभी क्या सोचेंगी रोशन बोला कुछ नहीं सोचेंगी तुम बैठो तो फिर रोशन उसे उल्फत भरी निगाहों से देखने लगा क्योंकि जब जब वह आता था उसे नूरजहां में कुछ ना कुछ बदलाव जरूर नजर आता था वह दिन - ब -दिन निखरती मिलती थी नूरजहां बोली क्या देख रहे हो रोशन बोला कुछ नहीं हमारा बैग उठाओ नूरजहां ने उठा कर दिया रोशन ने उसमें से एक दुपट्टा निकाला नूरजहां बोली अरे रेशम का दुपट्टा किसके लिए लाये हो रोशन बोला तुम्हारे लिए. xxxx तुम ओड़ोगी ना इसे नूरजहां बोली नहीं मुझे शर्म आएगी और फिर अम्मा पूछेंगी तो क्या बताऊंगी इसे तुम अपने पास ही रखो रोशन बोला नूरजहां जानती हो मैं यह दुपट्टा तुम्हें क्यों दे रहा हूं इसलिए कि जब तक यह दुपट्टा तुम्हारे पास रहेगा मैं समझूंगा तुम मुझसे प्यार करती हो और जब तुम इसे वापस कर दोगी तो मैं समझूंगा तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो। नूरजहां मैंने तो दिल में ठान लिया है कि जिंदगी में दुपट्टा वापस होते ही खुद को फना कर दूंगा रोशन का यह कहना था कि नूरजहां की आंखों से आंसू निकलने लगे . रोशन बोला अरे नूरजहां तुम रो क्यों रही हो वो बोली तुम ही ने तो रुलाया है तुम क्या समझते हो नूरजहां तुम्हारे बिना खुशी भरी जिंदगी जिएगी. नहीं । मगर मैं तुम्हारी तरह खुदखुशी नहीं करूंगी . खुशी जरूर छोड़ दूंगी फिर बोली अरे तुमने अभी खाना नहीं खाया चलो खाओ रोशन बोला नूरजहां तुम्हें देख कर भूख ही खत्म हो गई भूख तो अब यही है कि तुम्हारे जुल्फों की छांव में रहकर दस्त का बोसा लेता रहूं और इस चांद से मुखड़े को देखता रहूं तभी भाभी कमरे में खासते हुए आई और खाने को देखकर बोली रोशन तुमने अभी खाना नहीं खाया नूरजहां जाने लगी रोशन ने नूरजहां का हाथ पकड़ लिया और बोला कहो ना भाभी कुछ देर बैठे भाभी हंस के बोली तुम्हीं रोक रहे तो मैं क्या रोकूं . अच्छा बैठो नूरजहां . फिर डुपट्टे को देखते हुए बोली अरे यह रेशम का दुपट्टा किसका है. रोशन शक पका के बोला वह क्या है ना भाभी . मगर यह लेती ही नहीं भाभी बोली. हूँ . बड़ा ख्याल रखने लगे हो इसका अच्छा रख लो नूरजहां वह बोली मगर अम्मा पूछेंगीं तो भाभी बोली कह दूंगी मेरा है रोशन बोला वाह भाभी बस इसी तरह मेरा साथ देती रहो अबकी बार आऊंगा ना तो तुम्हारे लिए भी एक दुपट्टा लाऊंगा वह बोली अच्छा मगर भूलना मत रोशन बोला बिल्कुल नहीं भूलूंगा दूसरे दिन जब रोशन अपने घर आने लगा तो नूरजहां चुपके से बोली फिर कब आओगे रोशन बोला बहुत जल्दी फिर रोशन वहां से चला तो आया मगर उसे अभी भी नूरजहां के जुल्फों की खुशबू महसूस हो रही थी उससे अब नूरजहां की दूरी गवारा ना था वह चाहता था की हरदम नूरजहां के पास बैठा रहे उम्र के हिसाब से नूरजहां भी रोशन को एक पल के लिए नहीं भूलती हर पल उसे अपने निगाहों में बसाए रखती थी नेहा नाम की लड़की रोशन की अच्छी दोस्ती थी जो अपने चेयरमैन साहब की लड़की थी अपने मुहल्ले में रहती थी और उसके साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी वह रोशन की हर परेशानी में उसका मदद करती थी साथ ही साथ वह बहुत शरारती थी उसका गोल चेहरा सोने जैसे बाल तीखे नयन उसके अदाओं की खूबी थी दोनों में खूब जमती थी जिस दिन रोशन क्लास नहीं लेता तो नेहा उसके हॉस्टल पर आ जाती और अगर सोता मिलता तो उस पर पानी डालकर जगा देती और उसके जागते ही उसे डांटने लगती मां बाप का पैसा बर्बाद करने आए हो यहां पढ़ना नहीं तो घर बैठो जब रोशन पांचवी में पढ़ता था तो उसके साथ उसका एक दोस्त अजमल उसी के साथ पढ़ता था अजमल के बाप कर्नल थे और अब वह कानपुर में रहने लगे थे मगर दोस्ती अभी खत्म नहीं हुई थी दोनों खत के जरिए बात करते रहते थे. अजमल अब उर्दू पढ़ कर एक अच्छा आलिम हो गया था. अब रोशन कभी -कभी कानपुर अजमल के यहां घूमने जाता रहता था काफी दिन गुजर गए जाड़े की छुट्टी के बाद से रोशन कॉलेज नहीं गया तब तक उसके चचेरी बहन की शादी तय हो गई घरवालों ने दावत देने के लिए रोशन को खाला के घर भेजा उन दिनों खालू घर पर ही थे अचानक बारिश की वजह से रोशन को खाला के घर रात को रुकना पड़ा. रोशन जब भाभी के कमरे में गया तो, भाभी बोली रोशन मेरा दुपट्टा. रोशन बोला वह क्या है ना भाभी . जल्दी में चला इसलिए ख्याल ही नहीं रहा मगर अब की बार आऊंगा ना तो जरूर लेकर आऊंगा. भाभी बोली अच्छा छोड़ो वह बात मैं तो मजाक कर रही थी घर वाले कैसे हैं. रोशन बोला मुझे छोड़कर बाकी सभी अच्छे हैं भाभी हंसते हुए बोली कुछ दिन इंतजार करो तुम भी अच्छे हो जाओगे।
शाम को नूरजहां अपनी दादी के पास लेटी आंगन में रोशन कुछ ही दूरी पर था दादी जैसे सोई दोनों छत पर निकल आए. दोनों में खूब बातें हुयीं. उसी दौरान नूरजहां ने रोशन से पूछा तुम कॉलेज में पढ़ते हो किसी और लड़की से तो नहीं तुम्हें प्यार हो गया. रोशन बोला हकीकत सुनाऊंगा तो नफरत करने लगोगी नूरजहां बोली नहीं बल्की मेरा प्यार और मजबूत हो जाएगा रोशन बोला कॉलेज में नेहा नाम की लड़की से मेरी
 दोस्ती है.
 मगर तालुकात गलत नहीं है हम दोनों एक दूसरे के परेशानी में मदद करते हैं. नूरजहां बोली तुमने उसे कभी मेरे बारे में बताया . रोशन बोला हां कई बार मैंने उससे कहा है मैं नूरजहां से बचपन से प्यार करता हूं और शादी भी उसी से करुंगा . यह सुनकर नूरजहां खुशी से रोशन के सीने लग गई सुबह को जब रोशन वापस घर आने लगा तो उसने खाला खालू से कहा आप सब को शादी में जरूर आना पड़ेगा वह बोले इंशाल्लाह हम जरुर आएंगे रोशन ने मुड़ के दरवाजे की तरफ देखा तो नूरजहां दरवाजे के किनारे खड़ी थी रोशन को महसूस हुआ कि जैसे नूरजहां की आंखों में आंसू भरे हैं इसलिए आज आते वक्त उसके पैर बोझल हो गए थे उसे लग रहा था कि जैसे वो नूरजहां के आंसुओं को तैरकर जा रहा है उसे थकान सी महसूस हो रही थी. फिर रोशन की चचेरी बहन की शादी में खाला खालू दोनों आए . रोशन की मां चाहती थी कि अब रोशन की शादी हो जाए क्योंकि घरेलू कामकाज में उन्हे ज्यादा तकलीफ होती थी जब खालू से बात चली तो उन्होंने बड़ी खुशी के साथ रजामंदी दे दी बोले अगले साल कर दो दोनों की शादी रोशन जब कॉलेज गया और नेहा को पता चला कि रोशन की शादी तय हो गई है तो उसने तो पूरे कॉलेज में हल्ला कर दिया सारे दोस्तों को बता दिया तमाम सहेलियो को लेकर उसके हॉस्टल पर पहुंच गई. बोली मिठाई तो तुम्हे खिलाना ही पड़ेगा आखिर बचपन के ख्वाब जो पूरे हो रहे हैं ना । वक्त ऐसे गुजरता गया फिर वह वक्त आ गया जो खालू ने वादा किया था मगर उन्होंने ना कोई पैगाम भिजवाया और ना ही शादी के बारे में कुछ बात की मां कहती शादी की सारी अच्छी तारीखें निकली जा रही है और वह ना जाने क्यों खामोश है. इत्तफाक से भाभी रोशन को बहराइच के सालाना मेले
में मिल गई. बोली रोशन मेला घूमने आए हो क्या ? रोशन बोला हां अब मेले में मिल गया तो समझो मेला ही घूमने आया हूं तब तक भैया बोले तुम दोनों बात करो मैं अभी आता हूं फिर वह चले गये रोशन बोला भाभी तुम्हारे ऊपर मक्खियां बैठती होंगी तो सरक कर नीचे गिर जाती होगीं. भाभी बोली क्यों ? रोशन बोला. अरे संगमरमर जैसा तुम्हारा बदन है इस पर मक्खियों का रूक पाना तो मुश्किल ही होगा. भाभी हसने लगी , सच ही भाभी थी ही कुछ ऐसी उनकी शादी को लगभग दस साल हो गए थे. कोई बच्चा ना होने से नूरजहां तो नहीं मगर उसकी बड़ी बहन जरूर लगती थी. रोशन बोला भाभी तुम नूरजहां को साथ नहीं लाईं ? यह सुनते ही भाभी की हंसी गायब हो गई. उनका चेहरा मुरझा गया बोली. रोशन अब तुम नूरजहां के ख्वाब देखना बन्द कर दो क्योंकि उसकी शादी हो चुकी है ।


यह सुनते ही रोशन को चक्कर सा आने लगा. उसका मुंह खुला का खुला रह गया. उसके लिए तो दुनिया हिल गई थी. एक पल में ही उसके सपनों का बाग उजड़ गया था किसी तरह उसने खुद को संभाला और बोला भाभी कब और कहां उसकी शादी हुई. भाभी बोली. रोशन यह तो मैं नहीं जानती मगर इतना जानती हूं तुम्हारे खालू के एक दोस्त हैं. उन्हीं के लड़के के साथ हुई है. नूरजहां तो तुम्हारे साथ शादी करना चाहती थी. उसने मुझसे और अपनी मां से कहा भी. मगर मै क्या करती रोशन. तुम्हारी खाला मुझे ही डांटने लगी की तुमने ही नूरजहां को बहका रखा है. और नूरजहां से बोली आइंदा तेरे मुंह से यह बात ना निकले. नहीं तो तेरे अब्बा जान पाएंगे तो गजब कर डालेंगे. सबने उसकी हसरत दबाकर उसकी शादी दूसरे जगह कर दी.
मगर रोशन मैंने देखा है. उसके दिल में सिर्फ तुम्हारा ही नाम लिखा है. उसके आंखों से आंसू हम सब की जुदाई के नहीं. बल्कि तुम्हारी जुदाई के गम में टपक रहे थे. जिस दिन उसे मालूम हुआ कि उसकी शादी तुम्हारे साथ नहीं होगी. उस दिन से मैंने उसे हंसते नहीं देखा. घर आकर रोशन ने जब यह खबर अपने मां को सुनाया तो उन्हें ऐतबार ना हुआ उन्होंने पूरा हाल मालूम करने के लिए खालू को खत लिखा खालू ने खत में बताया कि रोशन हिंदी पढ़कर दीन व ईमान भूल चुका है. और संगीत में डूब गया है. और हमारी बेटी रोजा नमाज की पाबंद है. और सबसे बड़ी बात नूरजहां ही नहीं चाहती थी. कि उसकी शादी रोशन के साथ हो. इसलिए जहां उसकी मर्जी थी वहीं उसकी शादी कर दी. रोशन के जिंदगी का यह पहला गम था वह गमगीं रहने लगा। उसकी निगाहों में बस हरदम नूरजहां की मुस्कान घूमा करती। वह बचपन के दिनों को याद करता रोशन की हालत दिन-ब-दिन नूरजहां को ना पाने के गम में। बिगड़ती जा रही थी। अब तो वह बस आंखों को बंद कर लेता और सारा दिन नूरजहां की यादों में खोया रहता था। उसकी हालत देखकर घर वाले परेशान हो गए। नेहा और उसके दोस्तों को जब यह हाल मालूम हुआ तो उन्होंने रोशन को समझाया इतना गम क्यों करते हो। क्या तुम्हें ऐसी लड़की नहीं मिलेगी। अरे उससे और अच्छी-अच्छी लड़कियां मिलेंगी। क्या रखा है यार भुला दो उसे! रोशन बोला ऐ आंखें बड़ी दीवानी होती है जिसे एक बार बसा लेती हैं उन्हें भूलना आसान नही होता रोशन ने नूरजहां की जुदाई में तमाम शैर वा ग़ज़ल लिखा और उसमें कोई कमी है की नही यह डिस्कस करने के लिए वह अपने कानपुर के दोस्त अजमल के पास गया ठंडी का मौसम था रोशन को जुखाम था उसकी आवाज मोटी हो गई थी दोनों दोस्त बातें कर रहे थे तभी एक औरत दुपट्टे में चेहरा छुपाकर चाय लेकर आई और देकर चली गई रोशन ने पूछा यह कौन है ? अजमल ने थोड़ा शर्म के साथ कहा क्या बताऊं यार ऐसी जल्दी में मेरी शादी हुई कि तुम्हें बुला नहीं सका रोशन बोला कोई बात नहीं तुम दोनों हमेशा खुश रहो यही मेरी दुआ है यह सुनते ही अजमल ने सर को झुका लिया रोशन बोला क्यों खुश हो ना अपनी बीवी का साथ अजमल बोले बीबी कहां यार अब तो ऐसा फंसा हूं कि.. रोशन बोला क्या मतलब है तुम्हारा अजमल बोले यार शादी के बाद मुझे पता चला कि वह किसी और को चाहती है और उससे शादी करना चाहती है उसने मुझे बताया कि उसने मेरे साथ निकाह नहीं पड़ा है बोली आप मुझ पर रहम खाएं और मुझ को समझने की कोशिश करें अब मैं जब भी उसे तन्हाई में देखता हूं रोते ही देखता हूं उसकी आंखों में आंसू देख कर तो मेरे आंखों में आंसू आ जाते हैं रोशन बोला तुमने अपने अब्बा को यह बात को नहीं बताया . वह बोले अगर उन्हें बताता तो उसी वक्त तलाक हो जाता और उसकी बेईजती होती इसलिए मैने अब्बा से कुछ नहीं कहा मैंने उसकी मदद करने के लिए उससे पूछा है कि तुम किसी को चाहती हो मगर वह कुछ नहीं बोली सिर्फ रोती रही अब कुछ दिन तक ऐसे ही रखूंगा फिर अपनी कोई मजबूरी देकर तलाक दूर कर दे दूंगा फिर रोशन कानपुर से वापस आ गया और उसकी हालत वही रही कॉलेज गया तो नेहा ने फिर समझाया मगर रोशन कुछ नहीं बोला उसने सिर्फ इतना कहा कि बड़े बदकिस्मत होते हैं वह जो दिल चाहे चीज के पास होते हुए भी उस से दूर हो जाते हैं वाकई नेहा मैं बहुत बदकिस्मत हूं नेहा ने रोशन के गम में शामिल होते हुए कहा देखो रोशन जो होना था वह तो हो गया अब तुम भी खुद को संभालो क्यों उसकी यादों में जल रहे हो वह तो खुशी की जिंदगी जी रही होगी . रोशन बोला तुम नहीं जानती हो नेहा नूरजहां नजरें झुका कर क्या कर सकती है नेहा जब तक यह मेरी जिंदगी रहेगी तब तक मैं नूरजहां का इंतजार करता रहूंगा अब तो रोशन कॉलेज में रहकर भी क्लास नहीं लेता. नेहा समझाती मगर उस पर कोई असर नहीं होता. उसका बिल्कुल पढ़ाई से मुंह मुड़ चुका था बस शेर गजल लिखना उसकी एक फितरत बन गई थी रोशन ऐसे ही नूरजहां के ख्वाब सजा रहा था मगर इसकी कोई उम्मीद ना थी कि नूरजहां रोशन को मिल जाएगी ।
वक्त ऐसे ही गुजरता गया कुछ दिन बाद रोशन को कानपुर के एक मुशायरे में बुलाया गया .रोशन ने अपने बचपन के दोस्त अजमल के नाम एक खत लिखा कि आप सबको मुशायरे में आना होगा अब आप ही लोग नहीं रहेंगे तो हमारा दिल कैसे लगेगा ।जिस दिन मुशायरा होना था अजमल ने अपनी बीवी से चलने को कहा तो उन्होंने जाने से इंकार किया उन्होंने कहा देखो अम्मी अब्बू चल रहे हैं अगर तुम नहीं चलोगी तो क्या सोचेंगे ज्यादा इसरार करने पर वह चलने के लिए तैयार हो गयीं बोली चलो . अजमल बोले कमाल है ऐसे ही जाओगी अच्छे कपड़े पहन लो नहीं तो मेरी बेइज्जती होगी अजमल ने कई बार कहा तो वो मान गई फिर वह तैयार होकर अजमल के साथ मुशायरे वाली जगह पर पहुंच गई मुशायरा शुरू हो चुका था कुछ देर बाद रोशन का नंबर आया अजमल ने हाथ हिलाते हुए इशारा किया गया हूं रोशन खुश हुआ अजमल की बीवी अपने चेहरे को दुपट्टे में छुपाए हुए थी हवाऐं खूब तेज से लहरा के चल रही थी अजमल की बीवी न जाने किस सोच में डूबी हुई थी उन्हें देखकर ऐसा महसूस किया जा सकता था कि वह किसी पुरानी बातों को सोच रही है सोख हवायें उनके दुपट्टे को उनके सर से बार-बार उड़ा देती थी जैसे आज कोई पर्दाफाश करना चाहती थी जिसे अजमल की बीवी बड़े करीने से बार-बार संभाल रही थी धानी रंग का सूट पहने आज वह बहुत ही हसीन खूबसूरत लग रही थी . तभी उनके कानों में एक आवाज सुनाई दी .......

 >्रा््र्रा््धे उनके दिल पर असर किया यह आवाज उनको चानी सी लगी शायद वह इस आवाज को पहचानती थी इस आवाज से जैसे उनके कुछ रिश्ते थे उन्होंने दुपट्टा हटा कर देखा तो 22 साल का एक जवान गा रहा था शायद वह इस जवान को भी जानती थी इसीलिए बेअखितयार हो उसकी तरफ दौड़ पड़ी तेज हवाओं ने उनके दुपट्टे को उनके सर से उड़ा दिया अजमल ने दिल में कहा कहां भागी जा रही है उन्होंने देखा कि उनकी बीवी भागते-भागते गाने वाले से जाके लिपट गई बोली रोशन ! रोशन ! रोशन ने देखा यह तो नूरजहां है उसने नूरजहां को अपने बाहों में थाम लिया नूरजहां रो रही थी उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे रोशन को ऐतबार नहीं हो रहा था कि उसकी बाहों में नूरजहां है तब तक अजमल के अब्बा आए उन्होंने कहा बेहया आगे कुछ कहना चाहते थे तभी अजमल ने उन्हें डांटने से मना कर दिया और बोले नूरजहां आज तुम्हारा इंतजार खत्म हुआ . काश! मुझे पहले ही पता होता कि तुम रोशन को चाहती हो तो इतने दिन तुम्हें इंतजार ना करना पड़ता हम दोनों बचपन के दोस्त हैं फिर घर लाकर खुशी खुशी अजमल ने रोशन की मेहमान नवाजी की और बोले तलाक का कोई सवाल ही नही उठता . जब नूरजहां ने मेरे साथ निकाह ही नही पढा . फिर भी मैं अपनी तरफ से तलाक देता हूं शादी से पहले मां बाप को चाहिए कि वह लड़का लड़की दोनों से पूछ ले कि तुम्हारी शादी फला के साथ कर रहे हैं तुम्हारी क्या मर्जी है फिर नूरजहां और रोशन का दोनों का इंतजार खत्म हो गया आखिर दोनों की तमन्ना पूरी हुयी दोनों की शादी हो गई आज नूरजहां वह रेशमी दुपट्टा ओढे बहुत ही खूबसूरत लग रही थी वह डुपट्टा उसके हुस्न में चार चांद लगा रहा था उसके खुश्क होंट दहकते अंगारों में बदल गए थे उसके जिस्म के हर अंग उसे मुबारकबाद दे रहे थे मगर नूरजहां के लबों पर हंसी होते हुए भी उसके आंखों से आंसू टपक रहे थे . वह रोशन को पाने की खुशी के थे . क्योंकि नूरजहां रोशन का इंतजार तो जरूर कर रही थी मगर उसे भरोसा नहीं था कि रोशन उसे इतना जल्दी मिल जाएगा बाद में जब नूरजहां के अब्बा को सब कुछ मालूम हुआ तो रोशन के घर आए और खाला खालू ने रोशन और नूरजहां से अपनी गलती की माफी मांगी। भाभी ने मुस्कुरा कर अपने रसीले होठों से कहा रोशन दिल की मुराद पूरी हो गई अब तो डुपट्टा दे दो.रोशन बोला भाभी मैं कल ही बाजार जाकर आपके लिए डुपट्टा ले आऊंगा नूरजहां के अब्बा जमाल ने नूरजहां को अपने घर चलने के लिए कहा नूरजहां ने एक मुस्कान भरी नजरों से रोशन की तरफ देखा रोशन ने आंखों के इशारे से नूरजहां से कहा चली जाओ नूरजहां उठी और रोशन के कान के पास मुंह लगाकर बोली रोशन मुझे लेने तुम जल्दी आ ...आगे कुछ कहने वाली थी कि तब तक मां ने पुकारा साधना ! साधना ! साधना ने चट से मैगजीन को रख कर कोर्स की किताबें खोल ली मगर उसके नजरों के सामने रोशन और नूरजहां का चेहरा अभी भी घूम रहा था वह सोच रही थी कि नूरजहां रोशन से क्या कहना चाहती थी ।

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