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Saturday, November 23, 2019

Politics/सियासत Poem

सिकन्दर अली 'शिकन' बी ए प्रथम वर्ष
मोबाइल नंबर 9519902612
सियासत
सिकन्दर अली 'शिकन' बी ए प्रथम वर्ष
मोबाइल नंबर 9519902612


सजा के सर पे वह नफरत का ताज बैठे हैं
बे अदब बज्म ए सियासत में आज बैठे हैं
ये और बात है आता नहीं उन्हें कुछ भी
मगर चलाने को भारत का राज बैठे हैं
तमीज जिसको नहीं अपना घर बदलने की
वही बदलने को पूरा समाज बैठे हैं
यह कल के बच्चे सियासत की बात करते हैं
यहां तो पहले से उम्र ए दराज बैठे हैं
एक उम्मीद है आएंगे अच्छे दिन फिर से
छोड़ कर हम भी अपन कामकाज बैठे हैं
उनके माथे की शिकन देखकर हुआ खामोश
न जाने कितने छुपाए वो राज बैठे हैं

जो आज बज्म ए सियासत सजाए बैठे हैं
वह अहल ए बस्ती को पेहम सताए बैठे हैं
यहां जो सब्र व तहम्मुल की बात करते हैं
ये लोग वह है जो बस्ती जलाए बैठे हैं
उमड़ता दिल में है तूफान इक्तिदारी का
हजारों ख्वाब दिलों में छुपाए बैठे हैं
सुकूनो चैन दिलों का करार ऐ हमदम
इसी बाजार में सब कुछ गवाएं बैठे हैं
यह आरजू है खुदा उनको अब हिदायत दे
जो अपने फर्ज को इकदम भुलाए बैठे हैं
ऐ रहनुमाओ, मेरी पलकों पे अब ठहर जाओ
किसी की याद में पलकें बिछाए बैठे हैं

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