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Friday, May 10, 2019

Ye Fasana nahi Haqeeqat hai

यह फसाना नहीं हकीकत है
मुझे तो अभी तुमसे उल्फत है
तुम्हारे नाम से दिल मेरा यह धड़कता है
कसम खुदा की तुमसे मिलने को तड़पता है
मुद्दतों बाद भी मैं तुमसे प्यार करता हूं
तुम पर तो अब भी अपना जान निसार करता हूं
खुद को तन्हाई में जब पाते हैं
बीते लम्हे वो याद आते हैं 


इस जमाने ने मुझ पर जुल्म कितना ढाया है
शुक्र है सर पर मेरे आप का जो साया है
क्या कहूं मैं इस जमाने को
रुसवा कर दिया मासूम इस दीवाने को
कहा जमाने ने तुम गैर हो गई मुझसे
कहो तो बातें बता दूं कुछ राज कि उनसे
यही हकीकत की कयामत तक मुझको चाहोगी
मेरी आवाज पर तुम दुनिया छोड़ आओगी
क्या कहूं दिलबर मेरे कितने हंसी मेरे सपने थे
जुदा जिसने किया मुझको वह मेरे अपने थे
याद होगा तुम्हें शायद वह हंसी मंजर
मुस्कुरा रही थी तुम दरवाजे पर मुझ से टकराकर
याद आता है वह बचपन जो साथ खेले थे
हमारी जिंदगी में बस खुशियों की ही मिले थे
बाद बरसों से अपना मुलाकात था
सन 17, 5 अक्टूबर दिन जुमेरात था
देखकर तुमको तेज हो गई मेरी आहें
तलाश रहे थे किसी को तुम्हारी निगाहें
जो देखकर मुझको थम गई थी तुम्हारी नजर
सलाम करते थे वह बार-बार शर्मा कर
हमारी नजरों ने जब तेरा सलाम कुबूल फरमाया
थमीं आहें और दिल को कुछ सुकून आया
गुलाबी जोड़ी ने तेरी कमाल कर डाला
बुझी मुद्दत की प्यास दिल को मालामाल कर डाला
आंखों ने आंखों से अपनी हसरत को बयान किया समझकर आपके होठों ने एक मुस्कान किया
बदलकर होठों की रंगत तेरे गुलाबी हुई
सुरूर आया मेरी हालत मिसले शराबी हुई
वक्त ने भी आज हम दोनों पर सितम ढाया
वक्त से पहले वक्त अपनी मंजिल पर चला आया
हमारा मिलना था वक्त को गवारा नहीं
शिवाय जाने के तेरे पास था कोई चारा नहीं
चाहते हुए भी हम तुम्हें रोकने पर मजबूर हुए
धीरे धीरे मेरी नजरों से तुम दूर हुए
मैं अपनी आंखों में वह मंजर छुपाए फिरता हूं
मेरे महबूब मैं तुम्हें दिल से प्यार करता हूं
खुशी यही है कि हुई पूरी दिल की ख्वाहिश थी
तुम्हें बस देखने की हसरत नवाजिश थी

शायर नवाजिश खान रोशन बहराइची
मोबाइल नंबर 9696449123