यह फसाना नहीं हकीकत है
मुझे तो अभी तुमसे उल्फत है
तुम्हारे नाम से दिल मेरा यह धड़कता है
कसम खुदा की तुमसे मिलने को तड़पता है
मुद्दतों बाद भी मैं तुमसे प्यार करता हूं
तुम पर तो अब भी अपना जान निसार करता हूं
खुद को तन्हाई में जब पाते हैं
बीते लम्हे वो याद आते हैं
मुझे तो अभी तुमसे उल्फत है
तुम्हारे नाम से दिल मेरा यह धड़कता है
कसम खुदा की तुमसे मिलने को तड़पता है
मुद्दतों बाद भी मैं तुमसे प्यार करता हूं
तुम पर तो अब भी अपना जान निसार करता हूं
खुद को तन्हाई में जब पाते हैं
बीते लम्हे वो याद आते हैं
इस जमाने ने मुझ पर जुल्म कितना ढाया है
शुक्र है सर पर मेरे आप का जो साया है
क्या कहूं मैं इस जमाने को
रुसवा कर दिया मासूम इस दीवाने को
कहा जमाने ने तुम गैर हो गई मुझसे
कहो तो बातें बता दूं कुछ राज कि उनसे
यही हकीकत की कयामत तक मुझको चाहोगी
मेरी आवाज पर तुम दुनिया छोड़ आओगी
क्या कहूं दिलबर मेरे कितने हंसी मेरे सपने थे
जुदा जिसने किया मुझको वह मेरे अपने थे
याद होगा तुम्हें शायद वह हंसी मंजर
मुस्कुरा रही थी तुम दरवाजे पर मुझ से टकराकर
याद आता है वह बचपन जो साथ खेले थे
हमारी जिंदगी में बस खुशियों की ही मिले थे
बाद बरसों से अपना मुलाकात था
सन 17, 5 अक्टूबर दिन जुमेरात था
देखकर तुमको तेज हो गई मेरी आहें
तलाश रहे थे किसी को तुम्हारी निगाहें
जो देखकर मुझको थम गई थी तुम्हारी नजर
सलाम करते थे वह बार-बार शर्मा कर
हमारी नजरों ने जब तेरा सलाम कुबूल फरमाया
थमीं आहें और दिल को कुछ सुकून आया
गुलाबी जोड़ी ने तेरी कमाल कर डाला
बुझी मुद्दत की प्यास दिल को मालामाल कर डाला
आंखों ने आंखों से अपनी हसरत को बयान किया समझकर आपके होठों ने एक मुस्कान किया
बदलकर होठों की रंगत तेरे गुलाबी हुई
सुरूर आया मेरी हालत मिसले शराबी हुई
वक्त ने भी आज हम दोनों पर सितम ढाया
वक्त से पहले वक्त अपनी मंजिल पर चला आया
हमारा मिलना था वक्त को गवारा नहीं
शिवाय जाने के तेरे पास था कोई चारा नहीं
चाहते हुए भी हम तुम्हें रोकने पर मजबूर हुए
धीरे धीरे मेरी नजरों से तुम दूर हुए
मैं अपनी आंखों में वह मंजर छुपाए फिरता हूं
मेरे महबूब मैं तुम्हें दिल से प्यार करता हूं
खुशी यही है कि हुई पूरी दिल की ख्वाहिश थी
तुम्हें बस देखने की हसरत नवाजिश थी
शायर नवाजिश खान रोशन बहराइची
मोबाइल नंबर 9696449123
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Vest
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