मेरा बच्पन और नानी का घर
🌹इजाज़त मिले तो सुनाऊं फ़साना
वह बचपन 👭की यादैं व गुज़रा ज़माना
🌷कभी हम भी थे एक छोटे से🕴बच्चे
हुवा करते थे मेरे सब दोस्त👬अच्चे
🌹बहोत प्यारा प्यारा था बच्पन हमारा
मैं था अम्मां अब्बा के👩👩👦 आंखों का तारा
🌷 बहोत प्यार करते थे नानी👩👩👦व नाना
मिले उन को 🕌जन्नत में आला🏠ठिकाना
🌹हुवा करती थी मेरी एक 👩🚀बूढ़ी नानी
सुनाती थीं 🧚🏼♀परियों की मुझ को कहानी
🌷मुझे याद है आज तक वह ज़माना
वह जबदा भैंस🐃 और बकरी🦌चराना
🌹वो गड़ही व सगरा में मछली🐟 फंसाना
वो घोलवा में जा करके डुबकी लगाना
🌷कभी अमहा 🌳बगिया वह आम खाना
कभी गांव में यूं ही चक्कर लगाना
🌹पहोंचती थी जबदा में बच्चों की टोली
बनाते थे सब मिल के मिट्टी की गोली
🌷कभी हम न 🏃♀🏃🏼♂एक दूसरे से झगड़ते
थे आपस में हम सब बहोत प्यार करते
🌹गया बचपना फिर जो आई जवानी
बनी ज़िन्दगी की नई एक कहानी
🌷बिछड़ जायेंगे मेरे बच्पन के साथी
कभी मेरे दिल को ये उम्मीद ना थी
🌹मगर हाय अफ़सोस वह दिन भी आया
की अपनों से मुझ को बेगाना बनाया
🌷जो लगते थे अपने हुये सब पराये
किसे कहके मासूम अपना बुलाऐ🌷
खतम कर ऐ (मासूम) अपनी कहानी
छलक जाये ना मेरी आंखों से पानी🌷
मासूम अहमद बरकती
बड़ागाव चित्ता बहराईच
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